Wednesday, February 10, 2016

तीस साल बाद - रविन्द्र कालिया

तीस साल बाद - रविन्द्र कालिया

कपिल चाय की चुस्कियां लेते हुए अखबार पढ़  रहा था तभी गोपाल ने सूचना दी कि दो महिलायें मिलाने आयी हैं . कपिल टॉयलेट से फारिग होकर ही किसी आगन्तुक से मिलना पसंद करता है।  उसने खिन्न होते हुए कहा,
'' इतनी सुबह मुवक्किल होंगी।  दफ्तर में श्रीवास्तव होगाउससे मिलवा दो।'' 
''
 वे तो आपसे ही मिलना चाहती हैं।  शायद कहीं बाहर से आई हैं।''
''
 अच्छा! ड्राईंगरूम में बैठाओअभी आता हूँ। ''
कपिल टॉयलेट में घुस गया।  इत्मीनान से हाथ मुँह धोकर जब वह नीचे आया तो उसने देखासोफे पर बैठी दोनों महिलाएं चाय पी रही थीं।  एक सत्तर के आसपास  होगी और दूसरी पचास के।  एक का कोई बाल काला नहीं था और दूसरी का कोई बाल सफेद नहीं थामगर दोनों चश्मा पहने थीं।  कपिल को आश्चर्य हुआ।  कोई भी महिला उसे देख कर अभिवादन के लिए खडी नहीं हुई।  बुजुर्ग महिला ने अपने पर्स से एक कागज निकाला और कपिल के हाथ में थमा दिया
'' यह खत आपने लिखा था ? '' उसने कडे स्वर में पूछा।
कपिल ने कागज ले लिया और चश्मा लगा कर पढने लगा।  भावुकता और शेरो -शायरी से भरा एक बचकाना मजमून था।  उस कागज क़ो पढते हुए सहसा कपिल के चेहरे पर खिसियाहट भरी मुस्कान फैल गई।  बोला,
'' यह आपको कहाँ मिल गयाबहुत पुराना खत है।  तीस बरस पहले लिखा गया था। '' 
''
 पहले मेरी बात का जवाब दीजिएक्या यह खत आपने लिखा था ? ''बुजुर्ग महिला ने उसी सख्त लहज़े में पूछा। 
''
 हैन्डराइटिंग तो मेरी ही है।  लगता हैमैंने ही लिखा होगा। ''
''
 अजीब आदमी हैं आपकितना कैजुअली ले रहे हैं मेरी बात को। ''बुजुर्ग महिला ने पत्र लगभग छीनते हुए कहा।
कपिल ने दूसरी महिला की ओर देखा जो अब तक निर्द्वन्द्व  बैठी थी,पत्थर की तरह। 
कपिल को यों अस्त व्यस्त  देख कर मुस्कुरायी
। 
उसके सफेद संगमरमरी दांत पल भर में सारी कहानी कह गये
'' अरे! सरोजतुम! '' कपिल जैसे उछल पडा , '' इतने वर्ष कहाँ थींमैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूँतीस साल बाद तुम अचानक मेरे यहाँ आ सकती हो।  कहाँ गए बीच के साल? ''
''
 कहोकैसे होकैसे बीते इतने साल? ''
''
 तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे साल नहीं दिन बीते हों।  तीस साल एक उम्र होती है। '' '' मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि तुमसे इस जिंदगी में कभी भेंट होगी। '' 
''
 क्या अगले जन्म में मिलने की बात सोच रहे थे? ''
''
 यही समझ लो। '' 
''
 इस एक कागज के टुकडे क़े कारण तुम मेरे बहुत करीब रहेहमेशा।  मगर इसे गलत मत समझना। ''इतने में कपिल की  पत्नी भी नीचे उतर आई।  वह जानती थी कि नाश्ते के बाद ही कपिल नीचे उतरता हैचाहे कितना ही बडा मुवक्किल क्यों न आया हो। 
''
 यह मेरी  पत्नी  मंजुला है।  देश के चोटी के कलाकारों में इनका नाम है।  अब तक बीसीयों रेकार्ड आ चुके हैं। ''
''
 जानती हूँ..''  सरोज बोली '' नमस्कार।'' 
''
 नमस्कार।''  मंजुला ने कहा और  ''एक्सक्यूज मी''  कह कर दोबारा सीढियाँ चढ ग़ई।  उसने सोचा होगा कोई नई मुवक्किल आई है।  मंजुला की उदासीनता का कोई असर दोनों महिलाओं पर नहीं हुआ। 
''
 बच्चे कितने बडे हो गए हैं? '' सरोज ने पूछा। 
''
 उसी उम्र में हैंजिसमें मैंने यह खत लिखा था। '' 
''
 शादी हो गई या अभी खत ही लिख रहे हैं? ''  सरोज ने ठहाका लगाया।  कपिल ने साथ दिया। 
''
 बडे क़ी शादी हो चुकी हैदूसरे के लिये लडक़ी की तलाश है। ''
''
 क्या करते हैं? ''  बुजुर्ग महिला ने पूछा। 
''
 बडा बेटा जिलाधिकारी र्है बहराइच में और छोटा मेरे साथ वकालत कर रहा है।  मगर वह अभी कॉम्पीटीशन्स में बैठना चाहता है।  सरोज की माँग में सिंदूर देख कर कपिल ने पूछा,  तुम्हारे बच्चे कितने बडे हैं? ''
''
 दो बेटियाँ हैं।  एक डॉक्टर हैदूसरी डॉक्टरी पढ रही है। ''
''
 किसी डॉक्टर से शादी हो गई थी? '' कपिल ने पूछा। 
''
 बडे होशियार हो। ''  सरोज ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया । 
''
 तुम भी कम होशियार नहीं थीं।''  कपिल ने कहा।  कपिल के दिमाग में वह दृश्य कौंध गयाजब कक्षा की पिकनिक के दौरान नौका विहार करते हुए सरोज ने एक फिल्मी गीत गाया था, '' तुमसे आया न गया,हमसे बुलाया न गया... ''
''
 तुमने इनका परिचय नहीं दिया।''  कपिल ने बुजुर्ग महिला की ओर संकेत करते हुए कहा। 
''
 इन्हें नहीं जानते ? '' ये मेरी माँ हैं। 
कपिल ने हाथ जोड अभिवादन किया
''
 अब भी सिगरेट पीते हो? ''
''
 पहले की तरह नहीं। 
कभी -कभी।'' 
सरोज ने विदेशी सिगरेट का पैकेट और एक लाईटर उसे भेंट किया, ''तुम्हारे लिये खरीदा था यह लाईटर।  कोई दस साल पहले।  इस बार भारत आई तो लेती आई। ''
''
 क्या विदेश में रहती हो? '' कपिल ने लाईटर को उलट-पुलट कर देखते हुए पूछा। 
''
 हाँमॉन्ट्रियल मेंमेरे पति भी तुम्हारे ही पेशे में है। ''
''
 कनाडा के लीडींग लॉयर।''  सरोज की माँ ने जोडा। 
''
 लगता है तुम्हारी जिन्दगी में वकील ही लिखा था।'' कपिल के मुँह से अनायास ही निकल गया।
सरोज ने अपने पति की तसवीर दिखाई।  एक खूबसूरत शख्स की तसवीर थी।  चेहरे से लगता था कि कोई वकील है या न्यायमूर्ति।  कपिल भी कम सुदर्शन नहीं थामगर उसे लगावह उसके पति से उन्नीस ही है
उसने फोटो लौटाते हुए कहा, ''तुम्हारे पति भी आए हैं? ''
'' नहींउन्हें फुर्सत ही 
कहाँ? ''  सरोज बोली,  '' बाल की खाल न उतारने लगोइसीलिये बताना जरूरी है कि मैं उनके साथ बहुत खुश हूँ।  आई एम हैप्पिली मैरिड। ''
तभी कपिल का पोता आँखे मलता हुआ नमूदार हुआ और सीधा उसकी गोद में आ बैठा
'' मेरा पोता है।''  आजकल बहू आई हुई है।  कपिल ने बताया। 
''
 बहुत प्यारा बच्चा हैक्या नाम है? ''
''
 बंटू।''  बंटू ने नाम बता कर अपना चेहरा छिपा लिया। 
''
 बंटू बेटेहमारे पास आओचॉकलेट खाओगे? ''
''
 खाएंगे। '' उसने कहा और चॉकलेट का पैकेट मिलते ही अपनी माँ को दिखाने दौड पडा। 
''
 कोर्ट कब जाते हो? ''  उसने पूछा। 
''
 तुम इतने साल बाद मिली हो।  आज नहीं जाँऊगाआज तो तुम्हारा कोर्टमार्शल होगा।''
''
 मैंने क्या गुनाह किया है? ''  सरोज ने कहा,  '' गुनाहों के देवता तो तुम पढा करते थेतुम्हीं जानो। अच्छायह बताओ जब मेरी दीदी की शादी हो रही थी तो तुम दूर खडे रो क्यों रहे थे? ''
कपिल सहसा इस हमले के लिये तैयार न थावह अचकचा कर रह गया,
'' अरे! कहाँ से कुरेद लाई हो इतनी सूचनाएं और वह भी इतने वर्षों बाद।  तुम्हारी स्मृति की दाद देता हूँ।  तीस साल पहले की घटनाएं ऐसे बयां कर रही हो जैसे कल की बात हो। ''
''
 यह याद करके तो आज भी गुदगुदी हो जाती है कि तुम रोते हुए कह रहे थे कि एक दिन सरोज की भी डोली उठ जाएगी और तुम हाथ मलते रह जाओगे।  अच्छा य्ह बताओ कि तुम कहाँ थे जब मेरी डोली उठी थी? ''
''
 कम ऑन सरोज।  कपिल सिर्फ इतना कह पाया।  मगर यह सच था कि सरोज की दीदी की शादी में वह जी भर कर रोया था। ''
''
 यह बताओबेटे कि सरोज को इतना ही चाहते थे तो कभी बताया क्यों नहीं उसे? '' सरोज की माँ ने चुटकी ली। 
''
 खत लिखा तो था। '' कपिल ने ठहाका लगाया,  '' इसने जवाब ही नहीं दिया। ''
''
 खत तो इसने उसी दिन मेरे हवाले कर दिया था''  सरोज की माँ ने बताया,  ''जब तक रिश्ता तय नहीं हुआ थाबीच-बीच में मुझसे माँग-माँग कर तुम्हारा खत पढ क़रती थी। ''
''
 मेरे लिये बहुत स्पेशल है यह खत।  जिन्दगी का पहला और आखिरी खत।  शादी को इतने बरस हो गएमेरे पति ने कभी पत्र तक नहीं लिखाप्रेमपत्र क्यों लिखेंगेवह मोबाइल कल्चर के आदमी हैं।  हमारे घर में सभी ने पढा है यह प्रेमपत्र।  यहाँ तक कि मेरे पति मेरी बेटियों तक को सुना चुके हैं यह पत्र।  मेरे पति ने कहा था कि इस बार अपने बॉयफ्रेंड से मिल कर आना। '' 
''
 इसका मतलब है पिछले तीस बरस से तुम सपरिवार मेरी मुहब्बत का मजाक उडाती रही हो। ''
''
 यह भाव होता तो मैं क्यों आती तीस बरस बाद तुमसे मिलने! अच्छा इन तीस बरसों में तुमने मुझे कितनी बार याद किया? ''
सच तो यह था कि पिछले तीस बरसों में कपिल को सरोज की याद आई ही नहीं थी।  अपने पत्र का उत्तर न पाकर कुछ दिन दारू के नशे में शायद मित्रों के संग गुनगुनाता रहा था,  '' जब छोड दिया रिश्ता तेरी ज़ुल्फेस्याह काअब सैकडों बल खाया करेमेरी बला से''  और देखते-देखते इस प्रसंग के प्रति उदासीन हो गया था
'' तुम्हारा सामान कहाँ है? '' कपिल ने अचानक चुप्पी तोडते हुए पूछा। 
''
 बाहर टैक्सी में।  सोचा था नहीं पहचानोगेतो इसी से चंडीगढ लौट जाएंगे। ''
''
 आज दिल्ली में ही रूको।  शाम को कमानी में मंजुला का कन्सर्ट है।  आज तुम लोगों के बहाने मैं भी सुन लूंगा।  दोपहर को पिकनिक का कार्यक्रम रखते हैं।  सूरजकुंड चलेंगे और बहू को भी घुमा लाएंगे।  फिर मुझे तुम्हारी आवाज में वह भी तो सुनना है,  तुमसे आया न गया,हमसे बुलाया न गया याद है या भूल गयी हो ? ''सरोज मुस्कुराई,  ''कमबख्त याददाश्त ही तो कमजोर नहीं है। ''
कपिल ने गोपाल से सरोज का सामान नीचे वाले बेडरूम में लगाने को कहा।  बाहर कोयल कूक रही थी
'' क्या कोयल भी अपने साथ लाई हो? ''
''
 कोयल तो तुम्हारे ही पेड क़ी है। ''
''
 यकीन मानोमैंने तीस साल बाद यह कूक सुनी है।''  कपिल शर्मिन्दा होते हुए फलसफाना अंदाज में फुसफुसाया,  '' यकीन नहीं होतामैं वही कपिल हूँ जिससे तुम मिलने आई हो और मुद्दत से जानती हो।  कुछ देर पहले तुमसे मिलकर लग रहा था वह कपिल कोई दूसरा था जिसने तुम्हें खत लिखा था... ''
''
 टेक इट ईज़ी मैन सरोज उठते हुए बोली,  ज्यादा फिलॉसफी मत बघारो।  यह बताओ टॉयलेट किधर है? ''
कोयल ने आसमान सिर पर उठा लिया था
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